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पार्थिव शिवलिंग रुद्राभिषेक पूजा

भारतीय सनातन संस्कृति में धार्मिक कर्म कांड का महत्वपूर्ण स्थान है और भगवान शिव परमेश्वर की अपार भक्ति शिव भक्तो के दिलों में बसी हुई है। शिवलिंग और पार्थिव शिवलिंग में फर्क यह है की शिवलिंग का अभिषेक करने के लिए शिव मंदिर जाना पड़ता है,लेकिन पार्थिव शिवलिंग रुद्राभिषेक हम घरपर ही कर सकते है। श्रावण मास में पार्थिव शिवलिंग का पूजन करने का बड़ा माहात्म्य बताया गया है। पार्थिव शिवलिंग का पूजन करने से भगवान शिव जीवन के चारों पुरुषार्थों धर्म,अर्थ,काम और मोक्ष सहज ही प्रदान कर देते हैं। शिव महापुराण की विद्येश्वर संहिता के 19वें, 20वें और 21वें अध्याय में पार्थिव शिवलिंग के पूजन का माहात्म्य बताते हुए कहा गया है सर्वेषु लिंगेषु पार्थिवं श्रेष्ठमुच्यते,अर्थात् शिवजी के सभी द्रव्यों से बने शिवलिंग में पार्थिव शिवलिंग का पूजन सर्वश्रेष्ठ होता है। सतयुग में मणिलिंग,त्रेतायुग में स्वर्णलिंग, द्वापरयुग में पारदलिंग और कलियुग में पार्थिवलिंग को श्रेष्ठ कहा गया है। पार्थिव शिवलिंग भगवान शिव के प्रतीक के रूप में पूजे जाते हैं, और यह एक उपासना का विशेष तरीका है। शिवलिंग के विभिन्न प्रकार होते हैं,जैसे कि स्फटिक,पारद आदि। लेकिन पार्थिव शिवलिंग जिसे मिट्टी से बनाया जाता है जो शिव के साक्षात् रूप का प्रतिबिंब माना जाता है।

पार्थिव शिवलिंग रुद्राभिषेक पूजाके लाभ

पार्थिव शिवलिंग रुद्राभिषेक भगवान शिव का एक प्रमुख पूजन है,जो शिव भक्तों के बीच पुराने समय से किया जाता है।

  • दैवीय कृपा, भगवान शिव के आशीर्वाद और आध्यात्मिक उत्थान के लिए पार्थिव शिवलिंग पूजा का आयोजन करना चाहिए।
  • भगवान शिव संकट और दरिद्रता को दूर करते हैं,ज्ञान और धन प्रदान करते हैं और सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं
  • ध्यान और आध्यात्मिक उपलब्धियों के लिए पार्थिव शिवलिंग पूजा सबसे शक्तिशाली अनुष्ठान है।
  • पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने वालों को बीमारियों,दुर्घटनाओं,दुखों,परेशानियों,तनाव और अहंकार से राहत और सुरक्षा मिलती है।
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हमारी सेवाएं

श्री पूजा और यज्ञ सेवाओं द्वारा पार्थिव शिवलिंग पूजा में कलश स्थापना,पंचांग स्थापना (गौरी गणेश,पुण्यवचन,षोडश मातृका,नवग्रह,सर्वोत्भद्र),64 योगिनी पूजन,शेत्रपाल पूजन,स्वस्ति वाचन,संकल्प,गणेश पूजन और अभिषेक,नवग्रह पूजन शामिल हैं। प्रत्येक ग्रह मंत्र के 108 जाप,कलश में प्रमुख देवी-देवताओं का आह्वान,यंत्र पूजा,मंत्र जाप,हवन,आरती,पुष्पांजलि और ब्राह्मण भोजन। पार्थिव शिवलिंग पूजन होने बाद शिवलिग का अगले दिन सुबह किसी नदी,कुवे और किसी मिट्ठी में विसर्जन कर सकते है और फिर नया शिवलिंग बना सकते है। प्रति दिन ग्यारह छोटे और एक बड़ा यानि प्रति दिन बारह पार्थिव शिव लिंग बना सकते है।

पं.शांति भूषण शुक्ल

पार्थिव शिवलिंग रुद्राभिषेक पूजन विधि

पार्थिव शिवलिंग का निर्माण पूजन नदी या तालाब के किनारे,पर्वत,वन में,शिवालय में अथवा किसी पवित्र स्थान में करने का विधान है। पार्थिव शिवलिंग पूजन करने के लिए सर्व प्रथम आपको भगवान गणेश और माता पार्वती का पूजन करे। उसके बाद गणेश को जनेऊ अर्पण करे फिर जल हाथ में लेकर सकल्प ले। उसके बाद गंगाजल और पंचामृत से शिव का अभिषेक करे। फिर शिव को पुष्प, फल और सभी पूजन सामग्री अर्पण करके आरती करे और कामना पूर्ण होने का आशर्वाद ले। विधि विधान द्वारा पार्थिव शिवलिंग पूजन हेतु अथवा पूजन से सबंधित अधिक जानकारी के लिए (+91)-9910228714 अथवा (+91)-7701961773 पर कॉल करें ।

पं.शांति भूषण शुक्ल