पूजा सेवाएँ
काल सर्प दोष पूजा
कालसर्प दोष,या कालसर्प योग,जन्म कुंडली में राहु और केतु के बीच सभी ग्रहों की स्थिति है। कुछ लोगों का मानना है कि अगर कोई पिछले जन्म में नागों को मारता है तो यह दोष लगता है। इनके व्रत या व्रत के कारण व्यक्ति को विवाह में देरी,संतान की कमी या गर्भधारण में परेशानी होती है।त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंगं शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह महाराष्ट्र के नासिक जिले में है। यहां पर पूजा करवाने से कालसर्प दोष का निवारण होता है। जब सभी ग्रह राहु और केतू के बीच में आ जाते हैं तो ऐसी स्थिति में जातक की कुंडली में कालसर्प दोष का योग बनता है। जिन लोगों का कुंडली में ये दोष होता है उन्हें किसी कार्य में सफलता नहीं मिलती है। वे अपने कार्यक्षेत्र में हमेशा नीचा महसूस करते हैं। ऐसे जातक किसी भी काम में अपनी किस्मत आजमाते हैं उन्हें असफलता ही हासिल होती है। इस कारण काल सर्प दोष इसका नाम सुनते ही व्यक्ति घबरा जाता है। लेकिन कालसर्प दोष से घबराना नहीं चाहिए। कालसर्प दोष के निवारण हेतु पूजन की अनेक विधि हैं। सबसे उत्तम विधि वैदिक मंत्रों द्वारा किया जाने वाला विधान है। भगवान शिव की आराधना द्वारा संभव है। भगवान शिव सर्पों को अपने गले में धारण करते हैं इसलिए सर्पों की पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और संपूर्ण पाप नष्ट होते हैं।
कालसर्प दोष निवारण पूजा के लाभ
कालसर्प दोष निवारण की पूजा और आराधना करने के लिए त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंगं शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और यह महाराष्ट्र के नासिक जिले में है यहां पर पूजा करवाने से कालसर्प दोष का निवारण होता है।
- यह पूजा अथवा अनुष्ठान कराने से आपके महत्वपूर्ण कार्य संपन्न होते हैं।
- इस पूजा के प्रभाव से आपके जितने भी रुके हुए काम हैं वो पूरे हो जाते हैं।
- शारीरिक और मानसिक चिंताएं दूर होती हैं।
- नौकरी,करियर और जीवन में आ रही सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती है।
- कालसर्प शांती करने से नागों के ९ कुलोंक आशीर्वाद मिलता हैं और सफलता के द्वार खुल जाते हैं।
हमारी सेवाएं
कालसर्प दोष के निवारण हेतु पूजन की अनेक विधि हैं। सबसे उत्तम विधि वैदिक मंत्रों द्वारा किया जाने वाला विधान है। भगवान शिव की आराधना द्वारा संभव है। धूप,फूल पान के पत्ते,सुपारी,हवन सामग्री,देसी घी,मिष्ठान,गंगाजल,कलावा,हवन के लिए लकड़ी (आम की लकड़ी), आम के पत्ते,अक्षत,रोली,जनेऊ,कपूर,शहद,चीनी,हल्दी और गुलाबी कपड़ा। पूजा की सारी सामाग्री पंडित जी की तरफ से होगी।पंडित जी के द्वारा पूरे विधि-विधान के साथ पूजा की जाएगी। पूजा आरंभ होने से पहले पंडित जी के द्वारा आपको संकल्प दिलवाया जाएगा। कालसर्प दोष के निवारण हेतु पूजन से सबंधित अधिक जानकारी के लिए (+91)-9910228714 अथवा (+91)-7701961773 पर कॉल करें
पं.शांति भूषण शुक्ल
कालसर्प दोष निवारण मंत्र
राहु के मंत्र ।।ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:।।
केतु के मंत्र।। ऊँ स्त्रां स्त्रीं स्त्रों सः केतवे नमः।।पं.शांति भूषण शुक्ल
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बारह कालसर्प दोष के प्रकार
कालसर्प दोष के कारण ग्रहों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वहीं जिन पहलुओं का यह ग्रह प्रतिनिधित्व करते हैं वे भी बाधित हो जाते हैं। जिससे जातक के जीवन में कई समस्याएं आती हैं। ज्योतिष शास्त्र में 12 कालसर्प दोष हैं,इनमें से प्रत्येक दोष जातक की कुंडली में राहु और केतु की स्थिति के अनुसार फल देता है।
अनंत कालसर्प दोष जातक की कुंडली में तब बनता है,जब कुंडली के प्रथम भाव में राहु और सप्तम भाव में केतु मौजूद होता है। जब जातक की कुंडली में यह दोष होता है, तो उसे सफलता पाने के लिए अधिक समय तक संघर्ष करना पड़ता है। अनंत कालसर्प दोष आपको निरंतर बाधाओं और चुनौतियों से परिचित कराकर आपके धैर्य की परीक्षा लेगा।
जातक की कुंडली के दूसरे भाव में राहु और आठवें भाव में केतु होने पर कुलिक कालसर्प दोष बनता है। ऐसा माना जाता है कि यह दोष जातक के जीवन में आर्थिक नुकसान,कर्ज और कई अन्य बाधाएं लाता है। इसलिए ज्योतिषियों का सुझाव है कि बिना सावधानीपूर्वक जांच किए लोगों के साथ संबंध न बनाएं। सिगरेट, तम्बाकू आदि नशीले पदार्थों का सेवन न करें।
वासुकि कालसर्प दोष तब बनता है,जब जातक की कुंडली में राहु तीसरे भाव में होता है और केतु नौवें स्थान पर विराजमान होता है। यह दोष न केवल जातक के जीवन को बल्कि उससे संबंधित लोगों, जैसे उसके भाई-बहन, माता-पिता, जीवनसाथी आदि के जीवन को भी प्रभावित करता है।आपको इस तथ्य का सामना करना पड़ता है कि आपके परिवार के सदस्य आपको धोखा दे सकते हैं।
कुंडली के चौथे भाव में राहु और दसवें भाव में केतु के विराजमान होने पर व्यक्ति की कुंडली में शंखपाल कालसर्प दोष बनता है। कुंडली में इस योग का बनना जातक के जीवन में आने वाली आर्थिक तंगी, बीमारी और अव्यवस्था का संकेत है। यदि आप युवा है, तो आपको को जीवन में सही चीज का चुनाव करने में मुश्किल होगी।
जब कुंडली के पंचम भाव में राहु और ग्यारहवें भाव में केतु हो,तो पद्म कालसर्प दोष बनता है। यह योग छात्रों के लिए विशेष रूप से हानिकारक है, क्योंकि वे पढ़ाई में एकाग्रता खो सकते हैं और गलत कार्यों में लिप्त हो सकते हैं। इसलिए माता-पिता को इस दौरान अपने बच्चों पर नजर रखनी चाहिए।
महापद्म कालसर्प दोष तब बनता है, जब राहु कुंडली के 6 वें भाव में हो और केतु 12 वें भाव में होता है। लेकिन जब महापद्म कालसर्प दोष बनता हैं,तो व्यक्ति अपने सभी दुश्मनों पर आसानी से जीत हासिल कर लेता है।जीवन में कुछ सार्थक और बड़ा करने के लिए बुद्धि और इच्छाशक्ति में वृद्धि होती है।
तक्षक कालसर्प दोष तब बनता है जब कुंडली के सातवें भाव में राहु और लग्न या पहले भाव में केतु होता है। यदि जातक की कुंडली में यह दोष होता है,तो उसे विवाह में देरी का सामना करना पड़ सकता है। विवाह में देरी आपके माता-पिता के लिए भी परेशानी और तनाव का कारण बन सकती है। यदि विवाहित हैं तो ससुराल पक्ष के स्वभाव के कारण अशांति हो सकती है।
कर्कोटक कालसर्प दोष तब बनता है जब जातक की कुंडली के दूसरे भाव में केतु और आठवें भाव में राहु होता है। कर्कोटक कालसर्प दोष धन प्राप्ति में बाधा उत्पन्न करने के लिए उत्तरदायी है। यह दोष करियर की प्रगति में भी बाधा उत्पन्न कर सकता है क्योंकि आपको नौकरी प्राप्त करने और अच्छी पदोन्नति पाने में कई बाधाएँ देखने को मिल सकती हैं।
शंखचूड़ कालसर्प दोष तब बनता है जब राहु ग्रह छठे घर में होता है और दूसरी ओर, केतु कुंडली के 12 वें घर में होता है। इस दोष की अच्छी बात यह है कि इस दोष में जन्म लेने वाले लोगों की इच्छाएं आमतौर पर पूरी हो जाती हैं। ऐसी इच्छाओं की पूर्ति में देरी हो सकती है, जिससे आप निराश हो सकते हैं। शंखचूड़ कालसर्प दोष से पीड़ित जातक के परिवार में कष्ट एवं पीड़ा हो सकती है।
ज्योतिषियों के अनुसार,कुंडली में घातक कालसर्प दोष तब बनता है जब जातक की कुंडली के दसवें घर में राहु और चौथे घर में केतु बैठा हो। जब आपकी कुंडली में यह दोष हो, तो यह अत्यधिक अनुशंसा की जाती है कि आप अपनी माँ की सेवा करें,उनकी देखभाल करें और उन्हें कभी कोई नुकसान न पहुँचाएँ। इससे आपके जीवन की स्थितियों को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। हालाँकि, यह देखा गया है कि बदले में, आपको अपनी माँ से उस तरह का स्नेह नहीं मिल पाता है। घातक कालसर्प दोष के कारण व्यक्ति अहंकारी हो जाता है, भले ही उसके पास गर्व करने लायक कुछ भी न हो।
विषधर कालसर्प दोष तब बनता है जब राहु ग्यारहवें घर में हो और केतु पांचवें घर में बैठा हो। शिक्षा, विशेषकर उच्च शिक्षा प्राप्त करने का प्रयास करने वाले व्यक्ति के लिए यह दोष घातक होता है। ऐसे व्यक्ति को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में काफी बाधाएं आएंगी। हालाँकि, तमाम बाधाओं के बावजूद, उनका धैर्य और प्रतिबद्धता उन्हें आगे बढ़ने में मदद करेगी। ये लोग अपने देश की बजाय विदेश में अपना करियर बनाते हैं तो अपने पेशेवर जीवन में बेहतर प्रदर्शन करते हैं। इनका भाग्योदय विदेशों में होता है। परिवार में दादा-दादी से लाभ की संभावना के बाद भी व्यक्ति को संपत्ति हानि का कष्ट उठाना पड़ता है।
शेषनाग काल सर्प दोष तब बनता है जब कुंडली के 12वें घर में राहु और छठे घर में केतु ग्रह बैठा हो। इस शेषनाग कालसर्प योग में जन्म लेने वाले जातकों की इच्छाएं हमेशा थोड़ी देरी से, पूरी होती हैं। इस दोष से प्रभावित जातक को अपनी आय से अधिक खर्च करने की आदत विकसित हो सकती है। यही कारण है कि वह आमतौर पर खुद को कर्जदार पा सकता है। 42 वर्ष की आयु के बाद उसके जीवन में एक ऐसा समय आता है जब उसे समाज में प्रतिष्ठित स्थान प्राप्त हो सकता है। हालाँकि, इसके लिए आपकी निरंतर कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता की आवश्यकता होगी।