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गंडमूल नक्षत्र शांति पूजा

हिन्दू शास्त्रों के अनुसार मूल नक्षत्र में पैदा हुए बच्चों को इन नक्षत्रों की स्थिति के कारण होने वाले दुष्प्रभावों से बचाने के लिए गंडमूल नक्षत्र शांति पूजा की जाती है । यह पूजा बहुत ही जरुरी पूजा होती है और इसके कारण बच्चों के ऊपर से मूल दोषों का निवारण होता है । इन नक्षत्र में पैदा हुए बच्चों के साथ ही इन नक्षत्रों का प्रभाव उनके माता पिता पर भी पड़ता है इसलिए यह पूजा बच्चे के पैदा होने के कुछ समय बाद ही की जाती है । गंडमूल नक्षत्र शांति पूजा में गण्ड नक्षत्र के स्वामी बुद्ध और मूल नक्षत्र के स्वामी केतु की शांति के लिए पूजा की जाती है । जो शिशु मूल नक्षत्र में पैदा होते है उसका प्रभाव पुरे परिवार एवं आर्थिक स्थिति पर होता है इसलिए शिशु के जन्म के 27 दिन बाद गण्डमूल नक्षत्र की शांति पूजा की जाती है। गंडमूल पूजा को सताइसा की पूजा भी कहा जाता है । इसमें जिस नक्षत्र में बालक का जन्म हुआ है उस नक्षत्र के अनुसार मूल शांति पाठ करवाए जाते है, ब्राह्मणों को भोजन करवाया जाता है और उन्हें दक्षिणा दी जाती है।जो शिशु मूल नक्षत्र में पैदा होते है उसका प्रभाव पुरे परिवार एवं आर्थिक स्थिति पर होता है इसलिए शिशु के जन्म के 27 दिन बाद गण्डमूल नक्षत्र की शांति पूजा की जाती है। गंडमूल पूजा को सताइसा की पूजा भी कहा जाता है । इसमें जिस नक्षत्र में बालक का जन्म हुआ है उस नक्षत्र के अनुसार मूल शांति पाठ करवाए जाता है।

गंडमूल नक्षत्र शांति पूजा के फायदे

हिन्दू ज्योतिष के अनुसार 12 राशि और 27 नक्षत्र माने जाते है । 27 नक्षत्रों में से कुछ नक्षत्र शुभ होते है कुछ नक्षत्र मध्यम और कुछ नक्षत्र अशुभ होते है। हमारा जो राशि चक्र होता है उसमें 3 बार ऐसी स्थितियां पैदा होती है जब कोई राशि और नक्षत्र एक साथ समाप्त होते है और दूसरी राशि और नक्षत्र में प्रवेश करते है । जब यह राशि और नक्षत्र एक साथ समाप्त होते है तो उस नक्षत्र को गंड नक्षत्र और जिन नक्षत्र में प्रवेश करते है उसे मूल नक्षत्र कहा जाता है। इस तरह अश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती गंड नक्षत्र कहे जाते है और गण्ड क्षेत्र का स्वामी बुद्ध ग्रह होता है और तीन मूल नक्षत्र मघा, मूल और अश्विनी होते है। मूल नक्षत्र का स्वामी केतु होता है। मूल दोष शांति पूजा एक विस्तृत पूजा होती है। जिसमें गुरुजी जी विधिवत मन्त्रों और अनुष्ठान के द्वारा गंडमूल नक्षत्रों के दुष्प्रभावों को शांत करते है। साथ ही इसमें लगने वाली पूजन सामग्री भी विशेष होती है। आप अपनी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त, पूजन सामग्री, सजावट और पंडित जी की व्यवस्था श्री पूजा हिंदू पूजा सेवा के ऑनलाइन मंच द्वारा एक ही स्थान पर पा सकते है। काशी के प्रसिद्ध, उच्च योग्य,अनुभवी शास्त्री,विदुषियो और पंडितो द्वारा पूरे विधि-विधान के साथ पूजा सम्पन्न की जाएगी।

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